बुधवार, 6 मई 2020

आवजो निमाड़ मs - कुंवर उदयसिंह अनुज

आवजो निमाड़ मs - निमाड़ी गीत
(इस गीत में निमाड जनपद के प्रसिद्ध स्थानों,सन्त कवियों परम्पराओं और व्यंजनों का वर्णन है।)

           आवजो निमाड़ मs--गीत

देस  यो  बसेल  छे  लीमड़ा की आड़  मs।
माळव्या   काकाजी  आवजो  निमाड़ मs।

काकाजी  अपणी   छे   हरी - भरी   वाड़ी।
वाड़ी  मs  जाणई   छे     छकड़ा    गाड़ी।
वाट   तमरी  देखी रई  वड़दा वाळी लाड़ी।
थकी  गया  भाईजी  न  थकी  गई   माड़ी।
आई गई  मिठास अवं वाड़ी  का वाड़ मs।
माळव्या  काकाजी  आवजो  निमाड़  मs।

ज्वार   को   खीचड़ो   काकाजी   राँधाँगा।
बाटी   को   चुरमा  सी   पल्लव   बाँधाँगा।
खीर   की   भजा   सी   कराँगा   वरावणी।
चरका  मीठा  ताया  की  पक्की  पेरावणी।
मही -घाट   भूल्यो  रे हऊँ  जाफा लाड़ मs।
माळव्या   काकाजी    आवजो निमाड़ मs।

गणगौर      पूजाँगा      रथ       बौडावाँगा।
काकीजी  का   संगात  झालरियो  गावाँगा।
ख़ावाँगा    रोटा    अमाड़ी     की     भाजी।
काकी   कs   लावजो     करी   नs   राजी।
धाणी    सेकाडाँगा  सोमई   की  भाड़  मs।
माळव्या    काकाजी  आवजो  निमाड़  मs।

मईसर  का  घाट   पs  कूदी  नs  न्हावाँगा।
बाबा  की   मजार   पs   चादर   चढावाँगा।
अहिल्या   की    गादी  पs  टेकाँगा.  माथो।
रजवाड़ा    मs   छे    उनको   बड़ो   गातो।
किलो   नs   मन्दिर  छे    रेवा  कराड़  मs।
माळव्या   काकाजी   आवजो  निमाड़  मs।

रिषभ  देव  देखण  कs  बड़वाणी  जावाँगा।
खजूरी    सिंगा    का   पगल्या    वधावाँगा।
अंजड़   की   बयड़ी  पs देवी  को धाम  छे।
ऊन   का   मंदिर  नs   को   घणो  नाम  छे।
छिरवेल   महादेवजी    बठ्या   पहाड़   मs।
माळव्या    काकाजी    आवजो निमाड़ मs।

नाँगलवाड़ी   मs    नागराज      खास    छे।
खरगुण    मs   बाकीमाता   को   वास   छे।
नवग्रह     की     नगरी    मऽ     उजास  छे।
डोला  वाळा   सिव  का  हात   मऽ  रास छे।
घाम   घणो  तेज पड़s जेठ नs असाढ़ मs।
माळव्या  काकाजी   आवजो  निमाड़   मs।

ठीकरी  मs आवs  खाण्डेराव  की  सवारी।
गाड़ा    ऊ   खईचs    घणा    भारी - भारी।
खण्डवा  मs  धूणीवाळा   बाबा   अवतारी।
सिवा  बाबा   की   घणी  महिमा  छे  न्यारी।
औंकार  तारजो  हऊँ   पड्यो   खाड़    मs।
माळव्या    काकाजी   आवजो  निमाड़ मs।

महम्दपुर      मऽ      बड़ा      हनुमान    छे।
पानवा - सगूर   मऽ   न्हावण  को  मान  छे।
जयंती  माता    बड़वाय   की    स्याण   छे।
बाबा    बोंदरू   नागझिरी    ठिकाण     छे।
गुतई    गयाज  तम    किनी   गुंताड़    मऽ।
माळ्व्या  काकाजी  आवजो  निमाड़   मऽ।

मल्लेसर   नगरी     देखी    जाओ    राणा।
गणेसजी   रामजी   का    मंदिर     पुराणा।
गंगा    झीरा    को    चाखी   जाओ  पाणी।
आजादी    युग   की    जेल    छे    पुराणी।
घर की  फिकर अवं  जाणऽ  देओ भाड़ मऽ।
माळ्व्या   काकाजी   आवजो निमाड़ मऽ।

भावसिंग  बाबा  को   गाँव    छे    दवाणा।
इनकी     महिमा      कऽ      बी   बखाणा।
नागेसर    बाबा     सी    धरगाँव     जाणा।
निमाड़ी    लोग     मेहनती    नऽ   स्याणा।
देव आवऽ लोग नऽ कऽ गाँव-गाँव हाड़ मऽ।
माळव्या   काकाजी   आवजो निमाड़ मऽ।

मनरंगगिर    गुरु    ब्रह्मगिर    की     माटी।
सन्त     सिंगाजी   नs    पोसी     परिपाटी।            काळूजी   म्हाराज  पीपळया  मs  ठाँव   छे।
अफ़जल जी सन्त  को  बड़वाणी   गाँव  छे।
रेवा  की  किरपा  सी  फळ  लग्या झाड़ मs।
माळव्या   काकाजी    आवजो निमाड़  मs।
                       ******
(टीप--इस गीत में एक करोड़ की आबादी वाले निमाड जनपद के प्रसिद्ध स्थानों,परम्पराओं, सन्त कवियों व व्यंजनों का चित्रण है - कुँअर उदयसिंह अनुज)

शब्दार्थ
लीमड़ा की आड़=नीम की ओट में ,आवजो=पधारियेगा, माळव्या=मालवा वाले, वाट=रास्ता, माड़ी=माँ, खीचड़ो=निमाड़ी व्यंजन, बाटी चुरमा=निमाड के प्रतिनिधि व्यंजन, ताया=निमाड़ी व्यंजन, मही घाट=छाछ व दलिया, हऊँ=मैं, जाफा=अधिक, गणगौर=प्रतिनिधि निमाड़ी लोकपर्व, झालरियो=गीत, रोटा= मोटे अनाज के टिक्कड़, अमाड़ी की भाजी=प्रतिनिधि साग(जैसे पंजाब में सरसों का साग), धाणी=पॉप कार्न, मईसर का घाट= नर्मदा किनारे महेश्वर नगर  के प्रसिद्ध घाट, अहिल्या = होल्कर स्टेट की शिव भक्त जग प्रसिद्ध शासिका, रेवा कराड़ =नर्मदा नदी के किनारे, रिषभ देव=जैनियो के प्रथम तीर्थंकर ऋषभ देवजी की बड़वानी नगर के पास सतपुड़ा पहाड़ में 84 फिट ऊंची पाषाण प्रतिमा, खजूरी=500 वर्ष पूर्व जन्मे निर्गुण निमाड़ी कवि सन्त सिंगाजी का जन्म स्थान गाँव, बयड़ी=पहाड़ी ,अंजड़=एक कस्बा जहाँ पहाड़ी पर देवी का मंदिर है, ऊन के मंदिर= यह गाँव खजूराहो के समकालीन मन्दिरो के लिए प्रसिद्ध , छिरवेल महादेव=निमाड़ के प्रसिद्ध सतपुड़ा पहाड़ में स्थित शिवजी, नाँगलवाड़ी= एक गाँव जहाँ सतपुड़ा पहाड़ पर 3 करोड़ की लागत से बना नाग मन्दिर है,खरगुण=खरगोन नगर ,निमाड़ का जिला मुख्यालय, कुंदा धड़= कुंदा नदी के किनारे, घाम=धूप, ठीकरी=एक कस्बा , गाड़ा=बैल गाड़ी से बड़े लकड़ी  बड़े पहिये के गाड़े,खण्डवा=एक नगर जो कवि माखनलालजी चतुर्वेदीजी की कर्म स्थली रहा,
सिवा बाबा=निमाड के एक सन्त, बड़वाय =बड़वाह नगर, मल्लेसर =मंड़लेश्वर नगरी, हाड़ मऽ=शरीर में, औंकार= ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर, खाड़ मs= गड्ढे में, ब्रह्मगिरि मनरंगगिर=600वर्ष पूर्व हुए निमाड़ी सन्त कवि, कालूजी म्हाराज=निमाड़ी सन्त कवि, अफजलजी= सन्त कवि, रेवा=नर्मदाजी

                   


मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

Interview of Prof. Shailendra Kumar Sharma on Malvi Language & Folklore मालवी लोक संस्कृति पर प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा से साक्षात्कार


Interview of Prof. Shailendra Kumar Sharma on Malvi Language & Folklore by Hemlata Sharma Bholi Ben
मालवी भाषा और लोक संस्कृति पर प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा से साक्षात्कार हेमलता शर्मा द्वारा





Lecture of Shailendra Kumar Sharma on World Theater विश्व रंगमंच पर शैलेंद्रकुमार शर्मा का व्याख्यान

Lecture of Prof. Shailendra Kumar Sharma on World Theater 

विश्व रंगमंच पर शैलेंद्रकुमार शर्मा का व्याख्यान






हिंदी-भीली अध्येता कोश : निर्माण प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा एवं समूह

Hindi - Bhili Learner's Dictionary by Prof Shailendrakumar Sharma & Group


हिंदी-भीली अध्येता कोश : कोश निर्माण प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा एवं समूह 

केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा की अध्येता कोश निर्माण योजनांतर्गत अपने साथियों के साथ विषय विशेषज्ञ के रूप में लगभग तीन वर्षों के श्रमसाध्य कार्य के परिणामस्वरूप हिंदी - भीली अध्येता कोश परिपूर्ण हुआ। इस पुस्तक में कोशकार के रूप में प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, डॉ जगदीश चंद्र शर्मा, डॉ कृष्ण कुमार श्रीवास्तव एवं अन्य लोगों का योगदान रहा। केंद्रीय हिंदी संस्थान के यशस्वी निदेशक प्रो नन्दकिशोर पांडेय के प्रधान सम्पादन में जारी अध्येता कोश निर्माण योजना में अब तक पचास से अधिक कोश या तो पूर्णता पर हैं या प्रकाशित हो चुके हैं।



केंद्रीय हिंदी संस्थान, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार की महती योजना के तहत जारी कोश निर्माण कार्यशालाओं में तैयार किए जा रहे इन कोशों के माध्यम से हिंदी के साथ देश की अनेक लोक और जनजातीय भाषाओं का प्रभावकारी सेतु बन रहा है, वहीं इन तमाम भाषाओं के बीच अन्तःसम्बन्ध की नूतन दिशाएँ भी उजागर हो रही हैं। 
हिंदी - भीली अध्येता कोश में लगभग साढ़े तीन हजार आधारभूत शब्दों को लेकर उनके अर्थ के साथ व्याकरणिक सूचनाओं, सहप्रयोगों और विभिन्न अर्थ छबियों का भी समावेश किया गया है। भीली संस्कृति और परम्पराएँ इस देश की सर्वाधिक पुरातन परंपराओं में शामिल हैं। परिश्रम, शौर्य और स्वाभिमान की दृष्टि से यह समुदाय अपनी खास पहचान रखता है।
इस कोश के माध्यम से भीली मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात के साथ महाराष्ट्र के सीमावर्ती क्षेत्रों की पहली जनजातीय भाषा बन गई है, जिसके अध्येता कोश का निर्माण सम्भव हुआ है। अपने सभी सहयात्रियों को आत्मीय धन्यवाद Dr Jagdishchandra Sharma  डॉ. कृष्णकुमार श्रीवास्तव Madhuri Shrivastava श्री शैतानसिंह सिंगाड़, श्री पप्पू भाबोर और श्री बाबूलाल सोलंकी। इस कार्य में जिन भाषाविदों का सार्थक सहयोग मिला, उनमें प्रो चतुर्भुज सहाय, प्रो त्रिभुवननाथ शुक्ल, प्रो परमलाल अहिरवाल, प्रो उमापति दीक्षित शामिल हैं।
हिंदी-भीली अध्येता कोश
कोश निर्माण प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा एवं समूह 
Hindi - Bhili Learner's Dictionary by Prof Shailendrakumar Sharma & Group























हिंदी-भीली अध्येता कोश : प्रो  शैलेंद्रकुमार शर्मा एवं समूहविक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन

ISBN 978-93-88039-03-1
प्रकाशक : केंद्रीय हिंदी संस्थान, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार आगरा उत्तर प्रदेश 

प्रकाशन वर्ष 2019 ई 
Hindi - Bhili Learner's Dictionary by Prof Shailendrakumar Sharma & Group, in collaboration Vikram University, Ujjain 


Publisher : Kendriya Hindi Sansthan, Ministry of Human Resourse Devlopment , Govt of India

ISBN 978-93-88039-03-1

Year 2019 AD 



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